2024 के सेमीफाइनल में MODI सच में कथित ‘पनौती’ साबित हुए…
Congress के लिए। बीजेपी के लिए तो मोदी, मुमकिन का ही दूसरा नाम हैं
पढ़िए राजनीतिक विश्लेषक की खास रिपोर्ट..
जालंधर। मोदी है तो मुमकिन है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक बार फिर यह दावा करने का मौका मिल गया है कि उसका यह नारा निराधार नहीं बल्कि बिल्कुल सार्थक है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनावों के आए परिणाम ने ‘मोदी मैजिक’ की फिर से पुष्टि कर दी है। ध्यान रहे कि मोदी पिछले करीब 10 वर्षों से बीजेपी के लिए विनिंग मशीन की भूमिका निभा रहे हैं।
बीजेपी ने किसी राज्य में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्रियों क्रमशः वसुंधरा राजे सिंधिया और डॉ. रमन सिंह को बीजेपी ने पीछे रखा। यह अलग बात है कि राजघरानों के प्रभाव वाले राजस्थान में राजे को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाने की चाहत में बीजेपी ने पूर्व सीएम के कैंडिडेट्स को टिकट दे दिया। लेकिन पार्टी ने उन्हें कभी मुख्यमंत्री के तौर पर उनका चेहरा कभी आगे नहीं किया।
इसी वर्ष जुलाई में बीजेपी ने सांगठनिक बदलाव किया तो वसुंधरा राजे को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दे दिया। उनके साथ छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह को भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिया। संकेत साफ है- राज्यों की राजनीति से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में आएं। हालांकि, वसुंधरा और रमन, दोनों को ही क्रमशः झालरापाटन और पाटन विधानसभा क्षेत्र से टिकट मिल गया। दोनों ने अपनी-अपनी सीट पर जीत भी दर्ज कर ली है।
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल का डंका बज रहा था। वहां कांग्रेस पार्टी जीत को लेकर निश्चिंत थी तो बीजेपी के हाव-भाव भी बता रहे थे कि उसमें भी जीत की उम्मीद नहीं बची है। लेकिन परिणाम सबके सामने है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है।सभी एग्जिट पोल्स के अनुमानों का यही निष्कर्ष निकल रहा था कि कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ में तो अपनी सत्ता बचा ही रही है, मध्य प्रदेश को भी वह बीजेपी से छीन रही है।
कुछ एग्जिट पोल्स ने राजस्थान में भी अशोक गहलोत सरकार की लुभावनी योजनाओं का हवाला देकर कांग्रेस सरकार की वापसी का अनुमान जताए थे। इस तरह, तीनों प्रदेशों से बीजेपी का सफाए का अनुमान जताया जा रहा था। लेकिन हुआ उलट।
कांग्रेस की लाज बची तो दक्षिण के राज्य तेलंगाना में। उत्तर भारत के तीनों प्रदेशों में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी। यह सब कैसे हुआ? चुनावी राजनीति का एक नियम है कि लोग चेहरे के आधार पर वोट करते हैं। प्रदेश की कमान किसके हाथ में सौंपनी है, वहां की जनता अक्सर इसी आधार पर पार्टी का चुनाव किया करती है। लेकिन मोदी मैजिक में राजनीति के ऐसे कई नियम धराशायी हो गए। दूसरे शब्दों में कहें तो मोदी की लोकप्रियता ने राजनीति में खेल के कई नियम ही बदल दिए।
अब चेहरा कोई भी हो, मोदी की गारंटी काफी है। जैसा कि बीजेपी मीडिया सेल के प्रभारी ने शुरुआती रुझानों में बीजेपी की बढ़त हासिल होते देख एक्स पर एक पोस्ट में दावा भी किया।आखिर राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट, मध्य प्रदेश में कमलनाथ जबकि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के कथित रूप से बेहद दमदार चेहरे को नकार कर जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भी भरोसा किया।
बीजेपी ने किसी प्रदेश में अपना सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं किया और प्रचार अभियानों में पीएम मोदी को आगे करके यही जताया कि मोदी हैं तो मुमकिन है। बीजेपी का यह भरोसा सही साबित हुआ। मोदी ने सच में फिर से मुमकिन कर दिया।
अब तो बीजेपी नेता भी कह रहे हैं कि जीत का भरोसा तो था, लेकिन इतनी बड़ी जीत होगी, इसका अंदाजा नहीं था। यह मोदी मैजिक का कमाल है। उस मोदी का जिन्हें कांग्रेस पार्टी के सबसे दिग्गज नेता राहुल गांधी ने ‘पनौती’ बताकर क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की हार की जिम्मेदारी थोपने की कोशिश की। बात यहीं तक नहीं रुकी, पूरी कांग्रेस पार्टी ने मोदी के खिलाफ ‘पनौती अभियान’ छेड़ दिया था। आज जब चुनाव परिणाम आ गए हैं तो साफ हो गया कि 2024 के सेमीफाइनल में मोदी सच में कथित ‘पनौती’ साबित हुए, कांग्रेस के लिए। बीजेपी के लिए तो मोदी, मुमकिन का ही दूसरा नाम हैं। जैसा कि शिवराज सिंह चौहान ने कहा- यह मोदी की जीत है।..