Loksabha Elections : हॉट सीट Jalandhar में दिलचस्प होगी सियासी जंग, दो करीबी रिश्तेदार और तीन पुराने कांग्रेसी दिग्गजों की साख दाव पर, जीत की राह नहीं होगी आसान
कांग्रेस को छोड़कर सभी पार्टियों के कैंडिडेट Jalandhar के, बीजेपी-आप-शिअद ने अन्य पार्टियों के नेताओं को शामिल कर बनाया कैंडिडेट, बड़े चेहरों के पड़ रहे लाले
पूर्व सीएम चन्नी जालंधर में एक्टिव रहे, सांसद रिंकू ने 6 महीने में करवाए कई काम, केपी और टीनू पुराने खिलाड़ी, बीएसपी के बलविंदर पर सभी की नजरें
पंजाब हॉटमेल, जालंधर। पंजाब के लोकसभा में सबसे हॉट सीट बनी Jalandhar में सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए, जिसमें भाजपा से सांसद सुशील रिंकू, कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, आम आदमी पार्टी ने पूर्व विधायक पवन कुमार टीनू, अकाली दल ने महिंदर सिंह केपी और बसपा ने एडवोकेट बलविंदर कुमार को मैदान में उतारा है। सभी पार्टियों के कैंडिडेट अनाउंस होने के बाद स्थिति बिल्कुल साफ है कि इस बार सियासी लड़ाई दिलचस्प होने वाली है। सभी की निगाहें जालंधर सीट पर टिकी हैं। एक तरफ कांग्रेस के तीन पुराने दिग्गज चन्नी-रिंकू-केपी एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोकेंगे तो दूसरी और बसपा के कैंडिडेट बलविंदर कुमार को भी कम नहीं आंक सकते।
ये तीन कांग्रेसी नेता… जिनका सियासी सफर आसान नहीं रहा, चुनाव से पहले बदले दल
सियासी लड़ाई को दिलचस्प बनाने वाले नेताओं में चमकौर साहिब से लाकर जालंधर से चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, जिसे अपनी पार्टी से कोई उम्मीदवार नहीं मिला तो उसने शिरोमणि अकाली दल के पूर्व विधायक पवन टीनू को लाकर उन पर दांव खेल दिया क्योंकि रिंकू ने ऐन मौके पर पार्टी छोड़ दी। इसी तरह बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के सांसद सुशील रिंकू को पार्टी में शामिल कर उन्हें जालंधर से टिकट दिया है। अब अकाली दल कैसे पीछे रहता उसने भी कांग्रेस के पुराने दिग्गज नेता महिंदर सिंह केपी को पार्टी में ज्वाइन करवाने के साथ ही जालंधर से उम्मीदवार घोषित कर दिया।
दो समधियों में सियासी लड़ाई… किस हद तक जा पहुंचेगी, समय बताएगा
जालंधर सीट का चुनाव जहां कई अन्य कारणों से बेहद अहम और दिलचस्प होगा, क्योंकि पहली बार लोगों को समधियों में चुनावी जंग देखने को मिलेगी। कांग्रेस की ओर से घोषित उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और अकाली दल की ओर से घोषित उम्मीदवार महिंदर सिंह केपी गहरे रिश्तेदार हैं। बताया जा रहा है कि महेंद्र सिंह के.पी. की बेटी की शादी चरणजीत सिंह चन्नी के भाई के बेटे से हुई है और इस तरह दोनों में गहरा रिश्ता है। लेकिन जैसा कहा जाता है कि राजनीति में कोई किसी का नहीं होता, ठीक उसी तरह के दोनों इस सियासी जंग में लड़ते नजर आएंगे। जुबानी जंग किस हद तक पहुंचेगी इस का पता समय के साथ लग जाएगा।
बसपा को छोड़कर सभी पार्टियों को होगा नुकसान, दल बदलने और लोकल मुद्दों का दिखेगा असर
सियासी लड़ाई में सीट अनाउंस होने के बाद सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है, पहले तेजिंदर सिंह बिट्टू और करमजीत कौर चौधरी भाजपा में चले गए उसके बाद अकाली दल ने पुराने कांग्रेसी महिंदर सिंह केपी को तोड़ लिया। आप को भाजपा ने बड़े झटके दिए, जहां कैंडिडेट अनाउंस होने के बाद सुशील रिंकू ने आप को छोड़ दिया उनके साथ वेस्ट के विधायक शीतल अंगुराल भी वापिस लौट आए। बड़े नेताओं के आने से भाजपा मजबूत जरूर दिख रही है लेकिन गांवों में किसानों का विरोध भी झेलना पड़ेगा, इसके साथ कुछ बड़े नेता नाराज भी चल रहे हैं जिसमें सांपला परिवार है जिनकी रविदासिया समाज में अच्छी पकड़ है। आप ने भाजपा को बड़ा झटका देकर एससी मोर्चा के उप-प्रधान रोबिन सांपला को तोड़ लिया। सिर्फ बसपा ही ऐसीपार्टी है जो अपने पुराने उम्मीदवार के साथ मैदान में उतरी है बाकी पार्टियों को उम्मीदवार बाहर से लाने पड़े या दूसरी पार्टियों से तोड़ लिए।
आम जनता भले ही उत्सुक हो लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए यह चुनाव किसी भी तरह से आग पर चलने से कम नहीं है। आज बेशक ऊपरी स्तर के नेताओं के लिए खुद को दूसरी पार्टियों के साथ एडजस्ट करना आसान हो सकता है, लेकिन सबसे बुरा तो निचले स्तर के उन कार्यकर्ताओं के साथ हो रहा है, जिन्होंने अपने लिए बनी मौजूदा स्थिति में अपनी साख बनाई है।