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ग्राउंड रिपोर्ट: जालंधर का अंबेडकर नगर संकट में, 800 घरों पर बुलडोजर का खतरा! मंदिर-गुरुद्वारे-चर्च भी निशाने पर… ये रही वजह

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पंजाब हॉटमेल, जालंधर। पंजाब के जालंधर में चौगिट्टी चौक के पास बसे अंबेडकर नगर पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यहां के करीब 800 मकानों को गिराने की तैयारी शुरू हो चुकी है। बिजली बोर्ड (पावरकॉम) ने लोगों को सिर्फ 24 घंटे का समय दिया है।

इस आदेश से बस्ती में दहशत और रोष दोनों है—बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सब सड़कों पर हैं, किसी की आंखों में आंसू हैं तो किसी के लफ्जों में लाचारी।

पावरकॉम का कहना है कि यहां की 65 एकड़ जमीन उनके स्वामित्व में है और लोगों ने उस पर कब्जा किया हुआ है। वहीं स्थानीय लोग इसे पूरी तरह से गलत बता रहे हैं।

“1986 से केस चल रहा, दो बार जीत चुके हैं”अंबेडकर नगर में रहते सुरजन सिंह बताते हैं कि “1986 से बिजली बोर्ड के साथ केस चल रहा है। दो बार हम केस जीत चुके हैं। चौथी पीढ़ी यहां रह रही है। मैंने अपनी आंखों के सामने ये बस्ती बनते देखी है।

एक-एक ईंट जोड़कर घर बनाए हैं, अब उजड़ जाएंगे तो कहां जाएंगे?

”सुरजन ने रोते हुए कहा, “हम हिंदुस्तान के ही नागरिक हैं, कोई बाहर से नहीं आए। भगवंत मान सरकार से गुहार है कि हमें बचाया जाए।”धार्मिक स्थल भी खतरे मेंबस्ती में बने मंदिर, गुरुद्वारा और चर्च का भी अब भविष्य अधर में है।

लोग पूछ रहे हैं—“जब नेताओं ने खुद इन धार्मिक स्थलों का उद्घाटन किया था, तब किसी को जमीन सरकारी नहीं लगी? तब पावरकॉम चुप क्यों था?”“सरकार चाहे तो मार दे, पर घर नहीं छोड़ेंगे”।

महिलाएं भावुक होकर कहती हैं कि “हमने पूरी जिंदगी की कमाई इन घरों में लगा दी। सरकार चाहे तो हमें मार दे, पर घर नहीं छोड़ेंगे। हमारे बच्चे यहीं पैदा हुए, यहीं पढ़े, अब कहां जाएं?”

एक अन्य महिला ने कहा कि “सरकार एक तरफ घरों के लेंटर डालने के लिए पैसे देती है, दूसरी तरफ उजाड़ रही है। हमें तो बिजली-पानी की सुविधा भी सरकार ने दी थी। तब तो किसी ने नहीं कहा कि ये जमीन सरकारी है।

“4 हजार लोग रह रहे, इतनी जनता कहां जाएगी?

”महिलाओं के अनुसार, इस बस्ती में करीब 4 हजार लोग रहते हैं। उनका कहना है—“अगर सरकार बुलडोजर लेकर आएगी तो हम गाड़ियों के नीचे लेट जाएंगे, पर मकान नहीं गिराने देंगे।

पिछले तीन दिन से नींद नहीं आ रही, बच्चे डर के साए में हैं।”बस्ती के हर कोने में आज डर और ग़ुस्सा दोनों है। अंबेडकर नगर के लोग सवाल पूछ रहे हैं—“अगर हम गलत थे, तो 80 साल तक सरकार सोती रही क्यों?”

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