Big News: पति से संबंध बनाने से इंकार और बेवजह शक तलाक का आधार: हाईकोर्ट
पति को अपमानित करना और मानसिक पीड़ा देना माना गया क्रूरता, पारिवारिक कोर्ट के फैसले पर लगाई मुहर
पंजाब हॉटमेल, चंडीगढ़/मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि पति से शारीरिक संबंध बनाने से बार-बार इंकार करना और उस पर विवाहेतर संबंध का शक करना, मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। यह तलाक का वैध आधार हो सकता है।

कोर्ट ने महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने पारिवारिक अदालत द्वारा पति को तलाक देने के फैसले को चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने कहा कि महिला का अपने पति के साथ व्यवहार क्रूरता की श्रेणी में आता है और इससे वैवाहिक जीवन प्रभावित हुआ।
कोर्ट ने पारिवारिक अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पति को तलाक देने की अनुमति दी गई थी।
पति के आरोप
पति ने कोर्ट में बताया कि उसकी पत्नी बार-बार शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करती थी।
विवाहेतर संबंध का बेबुनियाद शक करती थी।
परिवार, दोस्तों और ऑफिस स्टाफ के सामने उसे अपमानित करती थी, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गया।
हाईकोर्ट ने इन सभी बिंदुओं को गंभीर माना और कहा कि पत्नी का यह व्यवहार पति को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने वाला है।
सामाजिक रूप से अपमानित करना भी क्रूरता माना जाएगा।
निष्कर्ष : यह फैसला वैवाहिक संबंधों में आपसी सम्मान और विश्वास की अहमियत को रेखांकित करता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल शारीरिक हिंसा ही नहीं, बल्कि मानसिक यातना और सामाजिक अपमान भी तलाक के ठोस आधार हो सकते हैं।