जालंधर में बड़ी GST रेड: साई ओवरसीज एजुकेशनल सर्विसिज पर टैक्स चोरी का आरोप, दस्तावेज़ और डेटा जब्त… शिकायतों का अंबार था
पंजाब हॉटमेल, जालंधर। शहर में मंगलवार सुबह उस समय हलचल मच गई जब जीएसटी विभाग की विशेष टीम ने बस स्टैंड के पास स्थित साई ओवरसीज एजुकेशनल सर्विसिज के दफ्तर पर अचानक छापा मारा। यह कार्रवाई कंपनी के खिलाफ टैक्स चोरी और रिकॉर्ड में अनियमितताओं की मिल रही लगातार शिकायतों के आधार पर की गई।

ऑफिस को लिया कब्जे में, बाहरी लोगों की एंट्री बंद
सूत्रों के अनुसार, टीम सुबह कार्यालय पहुंची और पूरे परिसर को अपने नियंत्रण में ले लिया। किसी भी बाहरी व्यक्ति को अंदर जाने की इजाज़त नहीं दी गई। अधिकारी कंपनी के वित्तीय दस्तावेजों, कंप्यूटर सिस्टम और डिजिटल डेटा की बारीकी से जांच कर रहे हैं।
इस दौरान कार्यालय से भारी मात्रा में फाइलें, कंप्यूटर हार्ड ड्राइव्स, रसीदें, बैंक स्टेटमेंट और अन्य लेन-देन से संबंधित दस्तावेज जब्त किए गए हैं। टीम कंपनी की आय और खर्च से जुड़े रिकार्ड्स का जीएसटी रिटर्न्स से मिलान कर रही है।
करोड़ों की टैक्स चोरी का संदेह, विभाग सतर्क
जानकारी के मुताबिक, जीएसटी विभाग को संदेह है कि साई ओवरसीज एजुकेशनल सर्विसिज ने पिछले कई वर्षों से करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी की है। कंपनी पर आरोप है कि वह विदेश भेजने के नाम पर छात्रों से मोटी फीस वसूलती थी, लेकिन उसका पूरा हिसाब किताब वास्तविक रिकार्ड में नहीं दिखाया गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि, “कंपनी ने जानबूझकर कई ट्रांजेक्शंस छुपाए हैं और टैक्स देने से बचती रही है। यदि प्रारंभिक जांच में मिले सबूत पुख्ता साबित होते हैं, तो यह बड़ी आर्थिक हेराफेरी का मामला बन सकता है।”
जांच जारी, हो सकती है सख्त कार्रवाई
अभी तक जीएसटी विभाग की ओर से कोई आधिकारिक प्रेस रिलीज़ जारी नहीं की गई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि विभाग इस मामले को लेकर गंभीर है।
जांच पूरी होने के बाद अगर टैक्स चोरी के पक्के सबूत सामने आते हैं, तो कंपनी के खिलाफ धारा 132 के तहत आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है, जिसमें जेल और भारी जुर्माने का प्रावधान है।
साई ओवरसीज की साख पर सवाल
साई ओवरसीज एजुकेशनल सर्विसिज, जालंधर में एक जानी-मानी स्टडी वीज़ा कंसल्टेंसी कंपनी मानी जाती है, जो पिछले कई सालों से विदेश भेजने की सेवाएं दे रही है। इस रेड के बाद कंपनी की साख और वैधानिक संचालन पर सवाल खड़े हो गए हैं। छात्र और अभिभावक भी अब इस कार्रवाई को लेकर चिंता में हैं।