Punjab Politics Analysis: कपूरथला हाउस की बैठक पंजाब की राजनीति का नया अध्याय होगा… MLA’s की पावर बढ़ेगी या AAP की पावर घटेगी… इसी पर निर्भर!
लगातार Punjab पर हावी होती दिल्ली नेताओं को नागवार गुजरी, तो क्या कांग्रेस के दावे में है दम! जो AAP को बुलानी पड़ी मीटिंग
लुधियाना की खाली सीट से चुनाव लड़ Punjab CM की कमान केजरीवाल के अपने हाथ में लेने की अफवाहों में कितनी सच्चाई!… पढ़ें
पंजाब हॉटमेल, नई दिल्ली/चंडीगढ़। Punjab Politics Analysis) दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों ने आम आदमी पार्टी (AAP) के राजनीतिक समीकरण ही नहीं बदले बल्कि Punjab में स्थिर सरकार में कई सवालों को जन्म दिया है। शायद इसका तोड़ आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा मंगलवार को दिल्ली में पंजाब के सभी विधायकों और मंत्रियों की बुलाई मीटिंग में निकल सकता है।

विधायक मीटिंग के लिए पहुंचने लगे हैं। भगवंत मान चंडीगढ़ से दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। कपूरथला भवन के गेट पर विधायकों की लिस्ट भेजी गई है। चेकिंग के बाद ही अंदर विधायकों को एंट्री दी जा रही है। मीटिंग के कई कर सामने आए हैं जिसमें कांग्रेस का बड़ा दवा भी शामिल है।
दूसरी ओर AAP सूत्रों के बात सामने आई है कि पार्टी विधायकों की पावर बढ़ा सकती है। विधायक नाराज थे कि उन्हें पूरी शक्तियां नहीं दी गई हैं। साथ ही विधायकों को दूसरे राजनीतिक दलों से संपर्क में होने की आंशका के चलते हाईकमान विधायकों को एकजुट रहने का संदेश दे सकता है।
उधर पंजाब AAP के प्रधान अमन अरोड़ा के किसी हिंदू के भी पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के बयान ने राजनीतिक गलियारों में गर्माहट पैदा कर दी है। हालांकि पंजाब के AAP नेताओं ने इसे संगठन की रूटीन मीटिंग बताया है लेकिन एजेंडा तो सिर्फ केजरीवाल को पता है।
कांग्रेस के इन दावों ने सीएम मान की कुर्सी और पार्टी की टूट…!
कांग्रेस लगातार पंजाब के मंत्रियों-अफसरों को दिल्ली से कंट्रोल करने के आरोप लगाती रही है। विधायक दल नेता प्रताप बाजवा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल पंजाब के CM बनेंगे। हाल ही में लुधियाना वेस्ट से आप विधायक गुरप्रीत गोगी का निधन हुआ है। यह सीट खाली हो चुकी है। केजरीवाल वहां से उपचुनाव लड़ेंगे।

दिल्ली में हार के बाद आप का पूरा बोझ पंजाब पर पड़ेगा। ऐसे में CM भगवंत मान और दिल्ली के नेताओं के बीच इंटरनल फाइट होगी। ऐसे में कई विधायक आप से बगावत कर सकते हैं। इनमें से 30 कांग्रेस के संपर्क में हैं। गुरदासपुर से कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दावा किया कि पंजाब में आप के 35 MLA दूसरी पार्टी में शामिल होने को तैयार बैठे हैं।
दिल्ली के नतीजों के बाद पंजाब में भी शराब पॉलिसी का घोटाला निकलेगा। ये वही पॉलिसी है, जिसमें केजरीवाल और मनीष सिसोदिया फंसे थे। इसी साल इन्होंने धान खरीद में MSP घोटाला किया। पंजाब में मिडटर्म इलेक्शन यानी समय से पहले चुनाव हो सकते हैं। कांग्रेस सांसद धर्मवीर गांधी ने कहा कि राज्यसभा में AAP ने पंजाब की बजाय बाहरी लोगों को भेजा, जिससे स्थानीय नेता नाराज हैं।
AAP नेताओं की मानें तो यह सिर्फ संगठनात्मक मीटिंग, बाकी…!
प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि दिल्ली की यह बैठक रूटीन का हिस्सा है क्योंकि पंजाब के विधायकों व मंत्रियों ने दिल्ली चुनाव में प्रचार किया था। ऐसे में पार्टी नेताओं से फीडबैक लेगी। वहीं सांसद मालविंदर कंग ने कहा कि जिनके अपने विधायक इधर-उधर भटक रहे हों उनके साथ कोई नहीं जाना चाहेगा। दिल्ली में संगठनात्मक मीटिंग है। केजरीवाल हमारी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं। इस तरह की बैठकें किसी भी पार्टी की नियमित प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं।
पंजाब की जीत ने AAP को राष्ट्रीय पार्टी बनाया… सत्ता यहीं तो फोकस भी ज्यादा!
पंजाब की जीत ने आम आदमी पार्टी AAP को राष्ट्रीय पार्टी ही नहीं बनाया बल्कि उत्तर भारत की बड़ी क्षेत्रीय पार्टी की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। पंजाब ही ऐसा राज्य है, जहां दिल्ली के बाद AAP ने सरकार बनाई है। हरियाणा में उनका सूपड़ा साफ हो गया था। गुजरात में वह दूसरे नंबर पर रही थी।

हालांकि अब दिल्ली हाथ से छिन गई और पंजाब में 2027 में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में अगर पंजाब हाथ से निकला तो AAP के अस्तित्व को लेकर ही संकट खड़ा हो जाएगा। दिल्ली से AAP की सत्ता जाने के बाद अब अरविंद केजरीवाल पंजाब के जरिए अपनी पॉलिटिक्स चलाएंगे। यहां किए जाने वाले कामों की बदौलत वह दूसरे राज्यों में प्रचार करेंगे।