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Messing with health in Punjab New : मिलावट का खेल- 22% खाद्य उत्पादों के सैंपल फेल, पिछले साल के मुकाबले 7 फीसदी बढ़ी मिलावटखोरी: दूध व मिठाइयों में अधिक गड़बड़ी

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सेहत से खिलवाड़… लोगों की Health पर सीधा असर, देसी घी और खोये के इतने % सैंपल फेल होने पर हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार… पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट पंजाब हॉटमेल पर

मनमोहन सिंह (पंजाब हॉटमेल, चंडीगढ़)। Messing with health in Punjab ) पंजाब में इस समय खाद्य पदार्थों में बड़े स्तर पर मिलावट का खेल चल रहा है जिसका असर लोगों की Health पर पड़ रहा है। पिछले कई साल के मुकाबले लगातार मिलावटखोरी में दबढ़ोतरी हो रही है। इसका अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2024-25 में सितंबर तक ही 22 प्रतिशत खाद्य उत्पादों का सैंपल फेल हुए हैं। इस तरह पिछले पूरे साल के मुकाबले इसमें 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दूध व इससे बने उत्पाद, मिठाइयां और अन्य खाद्य पदार्थों में गड़बड़ी का खेल चल रहा है।

फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएभाई) की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024-25 सितंबर तक एफएसएसएआई की तरफ से पंजाब में 1628 खाद्य उत्पादों के सैंपल लिए गए थे, जिसमें से 358 सैंपल फेल पाए गए हैं, जो 22 फीसदी है। अगर वर्ष 2023-24 की जाए तो इसमें पूरा साल 15.38 फीसदी खाद्य उत्पादों के सैंपल फेल पाए गए थे। इस दौरान 6041 सैंपल लिए गए थे, जिसमें से 929 सैंपल सही नहीं पाए गए थे।

इसी तरह अगर वर्ष 2022-23 की बात की जाए तो तब 21.08 फीसदी सैंपल फेल हुए थे। तब 8179 खाद्य उत्पादों के सैंपल लिए गए थे, जिसमें 1724 सैंपल में मिलावट सामने आई थी। इसी तरह वर्ष 2021-22 में दूध, इससे बने उत्पाद व अन्य खाद्य पदाथों के 6768 सैंपल लिए गए थे, जिसमें 1059 सही नहीं पाए गए थे, जो 15.65 फीसदी है। इस डाटा से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में खाद्य पदार्थों में मिलावट का खेल बढ़ता जा रहा है। हर साल ही मिलावट के प्रतिशत में बढ़ोतरी हो रही है।

फेस्टिवल सीजन ही नहीं, बल्कि पूरा साल ही इस मिलावट का खेल जारी रहता है। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव की तरफ से यह जानकारी दी गई है। एफएसएसएआई की तरफ से अब सैंपलिंग बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि मिलावट के मामले का पता लगाकर इनमें कार्रवाई की जा सके। ऐसे मामलों में सिविल यानी जुर्माना व आपराधिक कार्रवाई भी की जाती है।

चंडीगढ़, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश में भी स्थिति खराब

चंडीगढ़, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश में भी स्थिति खराब है। अगर इन दोनों पड़ोसी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश की बात की जाए तो चंडीगढ़ में वर्ष 2024-25 सितंबर तक खाद्य पदार्थों के कुल 114 सैंपल लिए गए थे, जिसमें 24 फेल पाए गए, जो 21.1 प्रतिशत है। पिछले साल के मुकाबले में इसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी तरह हरियाणा में इस साल सितंबर माह तक 25.4 फीसदी सैंपल सही नहीं पाए गए। यह प्रतिशत पंजाब से भी अधिक है। हरियाणा में 694 सैंपल लिए गए, जिसमें 176 में मिलावट सामने आई है। हिमाचल प्रदेश में भी स्थिति कुछ बेहतर नहीं है। यहां 2024-25 में इस अवधि के दौरान 21.4 सैंपलों में मिलावट पाई गई। राज्य में कुल 724 सैंपल लिए गए थे, जिसमें से 155 सही नहीं पाए गए हैं। इसी तरह कई राज्यों में स्थिति बेहतर भी है, लेकिन वहां पर सैंपलिंग भी कम हुई है।

Health का सवाल- देसी घी के 21 और खोये के 26% सैंपल फेल पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से जबाव मांगा

चंडीगढ़। हाल हो में किए गए कुछ सर्वेक्षणों का हवाला देते हुए दाखिल उनहित याचिका में बताया गया कि जाब में देसी घी के 21 व खोया के 6 प्रतिशत नमूने न्यूनतम मानकों को या करने में विफल रहे। संबंधित अबकारी इस मामले में आंखें मूंदे हुए और लोगों के जीवन को खतरे में खेल रहे हैं। जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने बड़ा रुख अपनाते हुए पंजाब में मिलावटी दूध एवं दूध आधारित क्पादों की बिक्री की बढ़ती समस्या की नियंत्रित करने पर जवाब दायर करने का आदेश दिया है।

एडवोकेट सुनैना ने एक रिपोर्ट का राला देकर कोर्ट को बताया कि पंजाब औरहरियाणा उच्च न्यायालय अधिकारियों पर आंखें मूंदे बैठे रहने और लोगों के जीवन को खतरे में डालने का आरोप विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रतिदिन बड़ी मात्रा में नकली या मिलावटी दूध बिकता है। भारत के 70 प्रतिशत से अधिक दुग्ध उत्पाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के दुग्ध उत्पादों की जांच नहीं की गई तो 2025 तक 87 प्रतिशत भारतीय घातक बीमारियां कैंसर आदि का शिकार हो सकते हैं।

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