Jalandhar Municipal election politics: कुछ वार्डों में अंदरुनी कलह और MLA’S के कारनामों ने करवाया खेला… नुकसान AAP से ज्यादा कांग्रेस को हुआ… ये बड़े कारण
सेंट्रल और वेस्ट में AAP को डुबोने वाले पर क्या कार्रवाई होगी! बड़े चेहरों के हारने के पीछे बड़ी वजहें… पहली बार सत्ताधारी पार्टी बहुमत से चूकी
लोकसभा में सेंट्रल-नार्थ जीतने वाली भाजपा वेस्ट में सुधरी, कांग्रेस ने सेंट्रल जीता तो वेस्ट उपचुनाव में एकतरफा जीतने वाले अपनों को ले डूबे… पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट
मनमोहन सिंह, जालंधर। Jalandhar Municipal election politics) जालंधर नगर निगम चुनाव में राजनीति इस लेबल तक हुई कि जो खुद को जीता हुआ मानकर बैठे थे उन्हें नतीजा आने के बाद अपनी हार पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। इस चुनाव में कुछ अपने दगाबाज निकले तो बची कुची कसर MLA’S के कारनामों ने कर दी जो इतने मशहूर हैं कि नेता ही नहीं रेहड़ी वाले भी दूर से पहचान लेते हैं और रास्ता बदल लेते हैं।
ऐसे व्यक्ति की बैनर और पोस्टरों पर फोटो देख लोगों ने किनारा कर लिया और निगम चुनाव के इतिहास में पहली बार सत्ताधारी पार्टी बहुमत से चूक गई। दिग्गजों को हार उन्हें हार पच नहीं रही है क्योंकि मेयर से लेकर हर बड़े पद के दावेदार वही थे। जिसमें पूर्व मेयर जगदीश राजा, पूर्व डिप्टी मेयर अनीता राजा, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कमलजीत सिंह भाटिया की पत्नी जसपाल कौर भाटिया, पूर्व डिप्टी मेयर हरसिमरनजीत सिंह बंटी, पूर्व विधायक के भाई राजन अंगुराल और मंत्री भगत के करीबी चाचा रजनीश भगत चुनाव हार गए।
इस चुनाव में लड़ाई आप और कांग्रेस के बीच थी क्योंकि भाजपा के जिला प्रधान सुशील शर्मा सहित कई बड़े नेता मैदान छोड़कर भाग गए थे और दो चार चेहरों को छोड़कर जीत की आस नजर नहीं आ रही थी। लेकिन 19 वार्डों में जीत दर्ज करने के बाद आप को बहुमत से रोकने के साथ कांग्रेस का भी खेल बिगाड़ दिया। चुनाव से ठीक पहले आप में आए कुछ चेहरे जो शायद कांग्रेस में रहकर चुनाव जीत सकते थे पार्टी बदलने से लोगों ने नकार दिया तो कुछ जीत गए क्योंकि उनके काम बोलते थे। जो हारे वो सिर्फ बड़े चेहरे नहीं थे शहर की सियासत में उनका अपना रुतबा था।
आप को सेंट्रल और वेस्ट में हराने वालों पर पार्टी कोई कार्रवाई करेगी यह तो बाद की बात है राजा और बंटी के साथ रहकर दगाबाजी करने वालों की रिपोर्ट पर क्या एक्शन होगा, ये देखना जरूरी है। क्योंकि एक नेता जिसने दफ्तर का उद्घाटन तक कर लिया था उसकी टिकट काटकर एक दिन पहले आए नेता को दे दी, कहां तक सही था।
कुछ नेता न घर के रहे न घाट के, टिकट कटने पर पार्टी बदली लेकिन किस्मत नहीं बदल पाए तो कुछ आजाद उम्मीदवारों ने जरूर झंड़े गाड़ दिए और सत्ताधारी पार्टी को दिखाया कि टिकट नहीं काटनी चाहिए थी। एक तरफ कांग्रेस में पति पत्नी की जोड़ी परमजोत सिंह शैरी चड्ढा और प्रभजोत कौर चड्ढा ने बाजी मार ली तो दूसरी ओर आप के। पूर्व मेयर जगदीश राजा और उनकी पत्नी अनीता राजा दोनों हार गए।
कांग्रेस को नुकसान अंदरखाते हुआ क्योंकि पूर्व मेयर जगदीश राजा के पत्नी सहित आप में जाने के बाद लोग एक बार फिर कांग्रेस की तरफ देख रहे थे। लेकिन जब आप और भाजपा के उम्मीदवार अनाउंस हुए तो कांग्रेस ने दूसरी लिस्ट होल्ड कर ली। नामांकन के आखिरी दिन दो घंटे पहले लिस्ट आई और आप भाजपा से आए नेताओं को टिकट दे दी जो रात से पहले गालियां देते थे। उसके बाद अंदरुनी कलह बढ़ी और जिसकी टिकट कटी उसने आजाद खड़े होकर या दूसरे तरीकों से उम्मीदवार हरवाने में जोर लगाया और यही हुआ।
हैनरी का मजबूत किला ढ़ह गया तो वेस्ट में भाजपा ने मंत्री मोहिंदर भगत को आइना दिखाया जिन्होंने उपचुनाव में रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी। सेंट्रल में विधायक रमन अरोड़ा भी अपना गढ़ नहीं बचा पाए, कांग्रेस और भाजपा ने सिर्फ टक्कर ही नहीं दी धूल चटा दी। नगर निगम जालंधर के 85 वार्डों पर हुए चुनाव में आप 39, कांग्रेस 24, भाजपा 19, बसपा एक और आजाद दो जीते, अकाली दल के 29 में कोई नहीं जीता।