भाखड़ा डैम पर CISF की तैनाती से उठा सियासी तूफान: पंजाब-केंद्र आमने-सामने, हरियाणा को मिला इतना पानी
नई दिल्ली/चंडीगढ़/पंजाब/हरियाणा। भाखड़ा डैम की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता नजर आ रहा है। बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) की मांग पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए डैम की सुरक्षा अब केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को सौंप दी है। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए 296 CISF जवानों की एक यूनिट को मंजूरी दी है, जो जल्द ही डैम परिसर में तैनात होगी।

बीबीएमबी को इसके लिए 8.59 करोड़ रुपए की धनराशि चालू वित्त वर्ष में जमा करानी होगी। साथ ही CISF के लिए आवास और परिवहन जैसी व्यवस्थाएं भी करनी होंगी।
यह कदम उस घटना के बाद उठाया गया है, जब हाल ही में पंजाब पुलिस ने भाखड़ा और नंगल डैम को चारों तरफ से घेरकर बीबीएमबी के चेयरमैन और अधिकारियों को काम से रोक दिया था।

CM भगवंत मान ने जताया कड़ा विरोध: “पंजाब पुलिस दे रही मुफ्त सुरक्षा, केंद्र क्यों थोप रहा खर्च?”
पंजाब सरकार ने CISF की तैनाती के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसे केंद्र का एकतरफा निर्णय बताया और कहा कि पंजाब पुलिस पहले से ही भाखड़ा डैम को मुफ्त में सुरक्षा दे रही है, फिर जनता के पैसे क्यों खर्च किए जाएं?

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह फैसला पंजाब बीजेपी नेताओं की सहमति से लिया गया है? कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़, रवनीत सिंह बिट्टू और मनप्रीत सिंह बादल को लेकर उन्होंने कहा कि वे सार्वजनिक तौर पर अपनी स्थिति साफ करें।
हरियाणा को मिली बड़ी राहत: भाखड़ा से पहुंचा 10300 क्यूसेक पानी
इस बीच बीबीएमबी ने हरियाणा को जल आपूर्ति को लेकर एक अहम कदम उठाया है। 21 मई से 10300 क्यूसेक पानी छोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जो 22 मई की शाम तक हरियाणा में पहुंचना शुरू हो गया। यह पानी सिंचाई और पेयजल जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।
हाईकोर्ट में भी पहुंचा मामला, बीबीएमबी के रिकॉर्ड पर उठे सवाल
भाखड़ा डैम की सुरक्षा को लेकर यह मामला अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है। कोर्ट में बुधवार को इस पर करीब दो घंटे तक सुनवाई हुई, जिसमें बीबीएमबी द्वारा कोई ठोस दस्तावेज या रिकॉर्ड पेश नहीं किए गए। अदालत ने मामले को गंभीर मानते हुए अगली सुनवाई गुरुवार को तय की है।
निष्कर्ष: भाखड़ा डैम को लेकर सुरक्षा और जल वितरण के बीच अब यह मामला पूरी तरह राजनीतिक और प्रशासनिक टकराव का रूप ले चुका है। जहां एक ओर केंद्र सरकार सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना चाहती है, वहीं पंजाब सरकार इसे राज्य अधिकारों में दखल मान रही है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस विवाद का समाधान किस दिशा में जाता है।