Analysis बढ़ता जा रहा जय श्रीराम- आई लव मोहम्मद विवाद, आरोप-प्रत्यारोप से परे निजी हमले ज्यादा घातक; पुलिस के एक्शन का रिएक्शन भी दिखेगा!
दोनों पक्षों की डेडलाइन के बाद पुलिस को जांच में क्या मिला और कार्रवाई किन सबूतों पर होगी? इसी पर शांति निर्भर
मुस्लिम पक्ष की हजारों लोगों की धमकी के बाद भाजपा नेता ने भी दी कड़े संघर्ष की चेतावनी, बेकसूर आम जनता पर पड़ेगा असर!
मनमोहन सिंह
पंजाब हॉटमेल ब्यूरो, जालंधर। जालंधर में जय श्रीराम के जयघोष और आई लव मोहम्मद के प्रकरण को विश्लेषण (Analysis) करें तो विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। यह विवाद धार्मिक टिप्पणी और सच-झूठ के साथ निजी हमलों तक पहुंच गया है। ऐसी शब्दावली इस्तेमाल हो रही है कि माहौल को शांत रखने की पहल दोनों पक्षों से नजर नहीं आ रही।

इसमें अगर सर्व धर्म समाज के लोगों ने हस्तक्षेप किया तो बात और बिगड़ सकती है क्योंकि गलतफहमी और धार्मिक रंगत के बाद बनी दो पक्षों के टकराव की स्थिति को वही सुधार सकते हैं। सर्व धर्म समाज की बैठक के बाद जो आवाज आएगी वो इस पूरे प्रकरण में आग में घी डालने का काम करेगी।

बीते दिनों भाजपा नेता शीतल अंगुराल की अयूब दुग्गल पर की गई टिप्पणी का जवाब भी उसी हिसाब से मिला। अब मामले को शांति से हल करने की बजाय एक-दूसरे पर की जा रही निजी टिप्पणी विवाद को बढ़ा रहीं हैं। जब दो नेता जो कभी साथ रहे हो और एक-दूसरे पर इस तरह के निजी हमले करते हैं तो समाज में भी गलत मैसेज जाता है।

पुलिस द्वारा अयूब दुग्गल, एडवोकेट नईम खान सहित कई मुस्लिम पक्ष के लोगों पर FIR के बाद 8 अक्टूबर को हजारों लोगों को साथ लेकर प्रदर्शन की चेतावनी दी है। जिन्हें जय श्रीराम का जयघोष करने वाले व्यक्ति के साथ मारपीट और अन्य मामलों में आरोपी बनाया है।

वहीं दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष की चेतावनी के बाद भाजपा नेता प्रशांत गंभीर ने कहा कि हजारों लोग हमारे पास भी हैं हम भी यही करेंगे। ये धमकियां कहीं और जाकर दें, इस तरह से विवाद का हल नहीं होगा।

पुलिस ने कार्रवाई के लिए हिंदू संगठनों को जांच के लिए दो दिनों का समय मांगा था। अब देखना है पुलिस इस मामले में क्रॉस केस दर्ज करती है या पहले दर्ज मामले में गिरफ्तारी होगी।
हिंदू संगठनों की शिकायत पर मुस्लिम पक्ष के नेताओं पर दर्ज हुई एफआईआर के बाद डीसीपी नरेश डोगरा को मुस्लिम पक्ष में एक तरफा बताते हुए भाजपा नेताओं सहित योगेश पर केस दर्ज करने की मांग की है जिसके जयघोष के विवाद उत्पन्न हुआ था।
फिलहाल पुलिस इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है तो दूसरी ओर कुछ सिख संगठन भी मुस्लिम पक्ष के साथ खड़े हो गए हैं और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
योगेश के जयघोष के बाद मुस्लिम पक्ष के लोग हाथों में चप्पल लेकर दिखाई देने और एक्टिवा की चाबी निकालने के दो अलग-अलग वीडियो सामने आए। दोनों वीडियो की टाइमिंग भी चेक की जा रही है।
पुलिस भी घटनास्थल पर मौजूद थी तो स्पष्ट रिपोर्ट अब तक क्यों नहीं दी गई। पूरे प्रकरण में पुलिस की मौजूदगी और कार्रवाई निष्पक्ष नहीं दिखी, अगर पहले ही स्थिति संभाली जाती तो ये नौबत ही नहीं आती।
पूरे प्रकरण का परिणाम जो भी निकले लेकिन परेशानी हो बेकसूर आम जनता को होने वाली है, इस तरह के धरनों से लगने वाले जाम विकास के पहिए भी रोक देते हैं। पूरा विवाद कितना लंबा खिंचेगा यह पुलिस की कार्रवाई पर निर्भर करेगा, जिसका इंतजार दोनों पक्षों को है।