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आस्था की सीमाओं पर राजनीति: पाकिस्तान ने सिख जत्थे को दी मंजूरी, 14 हिंदू श्रद्धालु वाघा बॉर्डर से लौटाए; वीजा और स्वागत के बाद भी नहीं मिला प्रवेश… पढ़ें और देखें

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पंजाब हॉटमेल, अटारी (अमृतसर)। श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व से पहले श्रद्धालुओं की आस्था और भावनाओं को पाकिस्तान के दोहरे रवैये ने झटका दिया है। मंगलवार को अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान रवाना हुए जत्थे में शामिल 14 हिंदू श्रद्धालुओं को वाघा बॉर्डर से ही वापस लौटा दिया गया, जबकि सिख श्रद्धालुओं को आगे जाने दिया गया।

पाकिस्तानी इमिग्रेशन अधिकारियों ने इन श्रद्धालुओं को रोकने का कारण बताया “आप हिंदू हैं, इसलिए आपको अनुमति नहीं दी जा सकती।”यह घटना भारत-पाक रिश्तों में बढ़ती दूरी और धार्मिक यात्राओं पर पड़े तनाव की एक और मिसाल बन गई।

वापस भेजे गए श्रद्धालुओं में लखनऊ और दिल्ली के दो जत्थे शामिल थे। दिल्ली जत्थे के प्रमुख अमर चंद ने बताया कि सभी श्रद्धालुओं को बाकायदा वीजा जारी किया गया था, और अटारी पर फॉर्मेलिटीज पूरी करने के बाद वे वाघा पहुंचे।

वहां पाक अधिकारियों ने उनका हार पहनाकर स्वागत किया, हर व्यक्ति से 13-13 हजार रुपए का किराया लेकर यात्रा पैकेज बुक किया, लेकिन कुछ ही घंटों बाद कहा गया “यह जत्था सिख श्रद्धालुओं के लिए है, आप हिंदू हैं, इसलिए नहीं जा सकते।

”अमर चंद के अनुसार, भारतीय जवानों ने पाक इमिग्रेशन अधिकारियों से बहस भी की, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। निराश होकर श्रद्धालुओं को शाम को वापस लौटना पड़ा।

यह पहला मौका नहीं है जब श्रद्धालुओं की आस्था को सीमाओं पर रोका गया हो, लेकिन इस बार वीजा मिलने और स्वागत के बाद वापसी ने उन्हें गहरा आघात पहुंचाया है।

🔸 केवल 1932 श्रद्धालु ही जा सके पाकिस्तान

इस बार पाकिस्तान जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पर भी असर पड़ा। करीब 3 हजार के कोटे के बावजूद केवल 1932 श्रद्धालुओं को ही पाकिस्तान के गुरुधामों में दर्शन की अनुमति मिली।

जबकि लगभग 468 श्रद्धालुओं को गृह मंत्रालय की मंजूरी न मिलने के कारण अटारी से ही लौटा दिया गया।इन श्रद्धालुओं ने 4 घंटे तक बॉर्डर पर धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया और अपनी नाराजगी जताई।

साईं मियां मीर फाउंडेशन और पंजाब 1799 संस्था के प्रमुख परमजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से आखिरी समय तक अनुमति मिलने की उम्मीद रखी, लेकिन शाम 5 बजे तक कोई मंजूरी नहीं मिली, जिसके बाद जत्थे को वापस लौटना पड़ा।

🔸 फतेहाबाद के छह श्रद्धालुओं का वीजा भी रद्द

इसी बीच, फतेहाबाद जिले के छह श्रद्धालुओं का वीजा पाकिस्तान ने रद्द कर दिया। इनमें मनजीत सिंह रतिया, कुलदीप सिंह मेहमड़ा, चरणजीत सिंह बोड़ा समेत तीन अन्य श्रद्धालु शामिल हैं।

पाक अधिकारियों ने बताया कि उनके दस्तावेजों में तकनीकी खामियां थीं, इसलिए यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती।

🔸 श्रद्धालुओं में गहरा आक्रोश

वाघा से लौटे श्रद्धालुओं ने कहा कि पाकिस्तान सरकार की यह कार्रवाई धार्मिक भेदभाव का उदाहरण है। श्रद्धालुओं ने सवाल उठाया कि अगर वीजा जारी किया गया, स्वागत किया गया और शुल्क भी लिया गया, तो आखिर अंतिम क्षणों में रोका क्यों गया?

लोगों का कहना है कि आस्था की राह में सीमाओं और धर्म के नाम पर राजनीति ने एक बार फिर इंसानियत को शर्मसार किया है।

यह पूरा घटनाक्रम दर्शाता है कि सीमाओं के इस पार और उस पार आस्था अब कूटनीति के शिकंजे में जकड़ी जा रही है — जहां श्रद्धा से ज्यादा पहचान मायने रखती है।

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